" रीमा बहुत छोटी थी, उसे ठीक से याद भी नहीं....कब से ये सब चल रहा " प्रियंका ने गहरी सांस लेते हुए कहा, " बहुत छोटी थी वो, जब पहली बार वो अपनी नींद में चीखी थी| उसकी चीखें सुन के पूरा घर उठके उसके कमरे में घबरा के पहुँच गया था| रीमा अपने पापा के गले लग के बहुत बुरी तरह रोई थी उस वक़्त| डरावना सपना देखा होगा बेटा , कह के सब ने शांत कर दिया उसको, दोबारा सुला के सभी घरवाले वापस अपने कमरों में सोने चले गये| अगले दिन रीमा को कुछ याद नहीं था, और किसी ने उस पर ज़ोर नहीं डाला कुछ भी याद करने को, सभी खुश थे की वो सपना भूल गयी|"
प्रियंका थोड़ा रुक के पुनः बोली, " रात में दोबारा रीमा की चीखे सुनाई दी , सब घरवाले फिर उसके कमरे में पहुंचे, उसे शांत कराया और थोड़ा चिंतित हो कर दोबारा सोने चले गये| इसके बाद ये सिलसिला हर रात होने लगा| रोज़ रात रीमा चिल्लाती, बुरी तरह चिल्लाती , घरवाले उसको शांत कराते पर अगली रात दोबारा वो चिल्लाती |"
" रीमा का कमरा बदल दिया गया तीसरे दिन, ये सोच के की शायद इससे कोई परिवर्तन आये, और रात को उसको डरावने सपने ना आये | परन्तु उस रात भी वही हुआ, जिसका डर था | अगले दिन बुआजी कुछ सुगन्धित मोमबतीयाँ ले आई बाज़ार से, और रीमा के कमरे में रात होने पे जला दी , ये सोच के की शायद इससे उसे अच्छे ख्याल आयें , और डरावने सपने ना आयें रात में | परन्तु ये योजना भी विफल रही, रीमा की चीखें उस रात भी उतनी ही दर्दनाक थी|"
" रीमा के पिताजी बहुत परेंशान हो गये, उन्होंने सोचा रीमा को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाए, शायद कोई अच्छा नतीजा निकले" प्रियंका फिर समझाते हुए बोली, " उन दिनों गाँव में डॉक्टर कहाँ बैठते थे, रीमा के पिताजी ने रीमा को शहर ले जाने के इंतेज़ाम किये| बस उस रात के कटने का इंतज़ार था, अगले दिन सुबह ही वो दोनों निकलने वाले थे| रीमा के पिताजी को नींद नहीं आ रही थी, इंतज़ार कर रहे थे कब वो चीखे और वो ध्यान से सुने ताकि वो डॉक्टर को सब सही से बता पाए| इंतज़ार करते करते सुबह हो गयी, उस दिन रीमा सामान्य रूप से सोयी|"