Thursday 20 June 2019

अध्याय आठ

"क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?" वरुण ने दरवाजा खटखटाया, "अंदर आओ वरुण" रीमा ने वरुण को अंदर बुलाया| "ओह.... रीमा... तुम कैसी हो?" "मुझे....क्या हुआ?" रीमा ने वरुण से पूछा, "मेरा मतलब था कि तुम कल के बाद थक गई होगी...प्रियंका कहाँ है?" "हैलो वरुण" प्रियंका ने कमरे में प्रवेश करते हुए कहा, "हेलो प्रियंका,.....आज रात यहाँ हमारी आखिरी रात है......इसलिए हम सभी अलाव के बाद एक देर रात की फिल्म के लिए जाने की सोच रहे थे......तुम दोनों आओगे ना?" प्रियंका और वरुण वहीं खड़े एक-दूसरे की ओर देखते रहे|

"रीमा ने हँसते हुए कहा......मैं आना चाहती हूं.....अगर वरुण मुझसे भी पूछ रहा है...हा हा" वरुण शरमा गया, "अरे रीमा..."|

रीमा ने अलमीरा के सामने बैठे पूछा, "मुझे क्या पहनना चाहिए?....
तुम क्या पहन रही हो?" प्रियंका ने अपने कपड़ों के ढेर के नीचे से झाँका, "मैं फैसला नहीं कर पा रही हूं|" "ठीक है, हमें कुछ रंग समन्वित पहनना चाहिए|" कुछ समय में प्रियंका और रीमा तैयार हो कर नीचे पहुँची । काले रंग की पोशाक में प्रियंका को तैयार वरूण देखता ही रह गया । स्वाती हमेशा की तरह सही समय (वरूण के लिए गलत)
वरुण के पास पहुँच गयी, और वरुण को कोहनी मार के कहा, "अब बस भी करो, घूरते ही रह जाओगे क्या "वरुण बेचारा झेंपता हुआ बाकी सबके साथ अलाव के लिए बाहर निकला |

Monday 3 September 2018

अध्याय सात

प्रिया हल्के कदमो से कमरे के भीतर दखिल हुई । रीमा गहरी  नींद में सो रही थी | रीमा को देख कर सोच  पड़ गयी, आख़िर कब तक इसे ये सब झेलना होगा | सोचते सोचते  प्रियंका की भी आँख लग गयी |
" प्रियंका, उठो..." प्रियंका की आँख खुली तो देखा रीमा तैयार खड़ी थी सामने, "चलना नहीं क्या तुम्हे" रीमा ने कहा, "...... सब तैयार हो चुके है..... चलो तुम भी जल्दी तैयार हो जाओ..." "  चलो मैं बस १० मिनट में आई" प्रियंका  तैयार होने चली गयी।

" वो देखो.....कितना खूबसूरत नज़ारा है....प्रिया"  रीमा ने प्रियंका को बस की खिड़की से बाहर देखने को इशारा किया।"क्या तुम्हे कुछ भी याद नहीं है रीमा.....की कल ......" वरुण अपना वाक्य पूरा कर पता इससे पहले प्रियंका ने उसे इशारा किया। "...कल हमने क्या नहीं देखाउसके आगे तो यह कुछ भी नहीं ...." वरुण ने हस कर  अपनी बात का रुख मोड़ा।

बस से  उतरते समय वरुण ने प्रियंका को पीछे रोका, " हम रीमा से ये सच कब तक  छुपाते रहेंगे.....उसे बताना होगा उसके साथ क्या हो रहा है...."  "वरुण , रीमा को पता है की वो रात में चीख़ी थी...... पर उसे ये आज तक नहीं याद रहा है की वो किस कारण से इतनी बुरी तरह चीखती है......" प्रियंका ने वरुण को आगे समझाया, " और मैंने तुम्हे इशारा इसी लिए किया की जब उसे याद ही नहीं की वो किस कारण चीखती है तो उसे याद दिलाने का और दुखी करने का कोई मतलब नहीं है | " वरुण ने सर हिला कर हामी भरी। 

" चलो भी अब तुम दोनों....बाकि ग्रुप को भी थोड़ा समय दो...." स्वाति ने पीछे से आ कर दोनों को चौंका दिया। "हाँ स्वाति चलो.....आज तुम्हे ही पूरा समय दे देता हूँ..." वरुण ने मुँह बना कर  कहा और स्वाति से साथ आगे बढ़ा।  पीछे प्रियंका की ओर  देख कर उसने मुस्कुराया और फिर आगे बढ़ गया।

" आज बहुत थक गए ना प्रिया ?..... पर ख़रीदारी भी सही हो गयी.....मज़ा आया..... " रीमा ने बिस्तर पर पैर फैलते हुए कहा।  " हाँ थकान तो हो गयी है..... बस अब सीधे सुबह ही उठेंगे....." प्रियंका ने हस  कर कहा। " वो तो मैं नहीं कह सकती....आज रात कैसी बीते !" रीमा ने दुखी स्वर में कहा। 

Sunday 27 May 2018

अध्याय : छ:

"कौन है वहाँ ? बाहर आ जाओ !"प्रियंका ने झाड़ियों की तरफ़ देख के आवाज़ दी | सूर्योदय होने वाला था इसलिए हलकी रोशिनी थी वहाँ|

" अरे! तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो ?" स्वाति में चौंक के कहा, फिर मुस्कुरा के बोली, " अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो......हमें साथ ले लो जहाँ जा रहे हो !" और वरुण के कंधे पे हल्का सा मुक्का मारा | प्रियंका को स्वाति की बात का मतलब समझ आ गया, और वरुण की तरफ़ उसके इशारों से भी उसे समझ आ गया, वो क्या कहना चाह  रही| वो जाने के लिए उठ खडी हुई |
"प्रियंका.......रुको " वरुण ने प्रियंका को रोकने के लिए पुकारा, " वैसे स्वाति तुम इतनी सुबह यहाँ क्या कर  रही हो? "अरे.....मैं.....मैं  तो टहलने आई थी........... सुबह की ताज़ी हवा का आनंद उठाने|" स्वाति ने उत्तर दिया, और प्रियंका की तरह देख के बोली, " तुम क्यूँ जा रही प्रियंका वापस........क्या मैंने तुम दोनों की बातों में विघ्न डाल  दिया? " ऐसा कह के  स्वाति ने वरुण को आँख मारी|

इससे पहले की वरुण कोई उत्तर दे पता, प्रियंका ने तपाक  से जवाब दिया, " ऐसा कुछ भी नहीं है स्वाति, मैं भी टहलने आई थी .........और अब मुझे लगता है मुझे थोड़ी देर और सो लेना चाहिए .....तुम दोनों से बाद में मिलती हूँ मैं" और वह तेज़ी से अन्दर चली गयी|

"प्रियंका...." वरुण ने उसको पुनः रोकने का विफल प्रयास किया. " वरुण मैं भी यहाँ हूँ....मुझ पर भी ध्यान दे दो थोडा.....सारी बातें प्रियंका से ही करोगे क्या?" स्वाति ने फिर मुस्कुरा के  वरुण को कोहनी मारी |

" स्वाति....हम कुछ ज़रूरी  बात कर रहे थे........और अब वो चली गयी.........." वरुण ने निराशा और आक्रोश के स्वर में कहा, "खैर....अब जाने दो....." और वह भी उठ के तेज़ी से अन्दर चला गया|

" वाह....किसने सोचा था सुबह की सैर से इतनी ताजगी मिल सकती है....." स्वाति ने हस
के खुद से कहा |

Sunday 13 May 2018

अध्याय: पांच

"तुम्हारे कहने का मतलब क्या है प्रियंका?" वरुण ने असमंजस जताते हुए कहा | थोडा रुक के वरुण बोला, " एक ही सपना रीमा को बार बार आता है?...... इतने साल बीत गये , और एक ही सपना ? ..... बात कुछ समझ नहीं आई मुझे "

प्रियंका ने सर नीचे झुकाया और बोली, " वरुण मुझे इतना ही पता है, ज्यादा नहीं जानती मैं |" और वो उठ के वापस जाने लगी | वरुण ने पुनः उसका रास्ता रोका, " प्रियंका बात को अधूरा मत छोड़ो, शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद ही कर पाऊं|" प्रियंका ने सर उठा के वरुण की ओर देखा, उसे वरुण की आँखों एक विश्वास की चमक सी दिखाई दी|

वो ठहर गयी, वरुण की ओर देखा, और बोली, " रीमा कई दिन तक चैन से सोयी | स्थिति पहले की तरह सामान्य हो गयी | रीमा के पिताजी प्रसन्न थे, उनकी बेटी वापस गहरी नींद सोने लगी थी| पहली रात्री जब वो नहीं चीखी , तो रीमा के पिताजी ने सोचा कुछ दिन और देख लेते है, डॉक्टर को दिखने जाने का उन्हें कोई तथ्य नहीं महसूस हुआ |"

"धीरे धीरे घरवाले भूल गये, सब कुछ सामान्य हो गया | कुछ साल बीत गये, रीमा थोड़ी और बड़ी हो गयी | एक दोपहर वो स्कूल से लौटी, तो उसके मुख पर कोई अभिव्यक्ति नहीं थी | वो ना कुछ बोली, ना कोई भाव भंगिमा , खाना खा कर अपने कमरे में चली गयी|" प्रियंका एकदम से रुकी, उसे किसी के आस पास होने का आभास हुआ | वरुण ने प्रियंका को आश्वासन दिया, " कोई नहीं है प्रिया...... मेरा मतलब प्रियंका " वरुण का चेहरा लाल हो गया |




" नहीं वरुण, मुझे ऐसा लग रहा है, कोई हैं यहाँ.....कोई हमारी बातें सुन रहा.."

Sunday 4 March 2018

अध्याय : चतुर्थ



" रीमा बहुत छोटी थी, उसे ठीक से याद भी नहीं....कब से ये सब चल रहा " प्रियंका ने गहरी सांस लेते हुए कहा, " बहुत छोटी थी वो, जब पहली बार वो अपनी नींद में चीखी थी| उसकी चीखें  सुन के पूरा घर उठके उसके कमरे में घबरा के पहुँच गया था| रीमा अपने  पापा के  गले लग के बहुत  बुरी तरह रोई थी उस वक़्त| डरावना सपना देखा होगा बेटा , कह के  सब ने शांत कर  दिया उसको, दोबारा सुला  के सभी घरवाले वापस अपने कमरों में सोने चले गये| अगले दिन रीमा को कुछ याद नहीं था, और  किसी ने उस पर ज़ोर नहीं  डाला कुछ भी याद करने को, सभी खुश थे की वो सपना भूल गयी|"

प्रियंका थोड़ा  रुक के पुनः बोली, " रात में दोबारा रीमा की चीखे सुनाई दी , सब घरवाले फिर उसके कमरे में पहुंचे, उसे शांत कराया और थोड़ा  चिंतित हो कर  दोबारा सोने चले गये| इसके बाद ये सिलसिला हर रात होने लगा| रोज़ रात रीमा चिल्लाती, बुरी तरह चिल्लाती , घरवाले उसको शांत कराते पर अगली रात दोबारा वो चिल्लाती |"

              " रीमा का कमरा बदल दिया गया तीसरे दिन, ये सोच के की शायद इससे कोई परिवर्तन आये, और रात को उसको डरावने सपने ना आये | परन्तु उस रात भी वही हुआ, जिसका डर था | अगले दिन बुआजी कुछ सुगन्धित मोमबतीयाँ ले आई  बाज़ार से, और रीमा के  कमरे में रात होने पे जला दी , ये सोच के की शायद इससे उसे अच्छे ख्याल आयें , और डरावने सपने ना आयें रात में | परन्तु ये योजना भी विफल रही, रीमा की चीखें  उस रात भी उतनी ही दर्दनाक थी|"

" रीमा के पिताजी बहुत परेंशान हो गये, उन्होंने सोचा रीमा को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाए, शायद  कोई अच्छा  नतीजा निकले" प्रियंका फिर समझाते हुए बोली, " उन दिनों गाँव में डॉक्टर कहाँ बैठते थे, रीमा के पिताजी ने रीमा को शहर  ले जाने के  इंतेज़ाम  किये| बस उस रात के कटने  का इंतज़ार था, अगले दिन सुबह ही वो दोनों निकलने वाले थे| रीमा के पिताजी को नींद नहीं आ रही थी, इंतज़ार कर  रहे थे कब वो चीखे और वो ध्यान से सुने ताकि वो डॉक्टर को सब सही से बता पाए| इंतज़ार करते करते सुबह हो गयी, उस दिन रीमा सामान्य रूप से सोयी|"

Wednesday 31 January 2018

अध्याय : तृतीय

"बुरा सपना देख लिया उसने, डर गयी बेचारी...." प्रियंका ने एक झटके में बोल दिया, "सपना...कैसा सपना...." वरुण ने ज़ोर डालते हुए पूछा, " यह किस तरह का सपना है? वह इतनी बुरी तरह से चिल्ला रही थी, यह एक सामान्य बात नहीं है" प्रियंका अवाक हो गई|

वह एक पल के लिए रुक गयी, और फिर उसने धीरे से कहा " ऐसा कुछ नहीं है"

वरुण ने प्रियंका को कंधे से पकड़ा और उसे उसके तरफ घुमाया, " क्या मतलब है इसका .....ऐसा कुछ नहीं है ...." वरुण आपा खो बैठा , " तुम तो मुझे ऐसे बेहला रही रही हो  जैसे मैं कोई छोटा बच्चा हूँ " प्रियंका को झकझोंर सा दिया वरुण ने| वरुण बिना रुके तैश में बोला " जिस तरह से वो लड़की चीख़ी  वो कोई महज़ बुरा सपना नहीं हो सकता ....वो भी दो रातें लगातार "

प्रियंका वरुण की इस बात से स्तबद्ध रह गई , वरुण उसकी आँखों में अपने सवालों का ज़वाब ढूंढ़ रहा था| प्रियंका प्रियंका ने खुद को संभाला , वरुण की कैद से खुद को आज़ाद किया| आगे कदम बढ़ा के अपनी पीठ उसने वरुण की तरफ की और गहरी साँस ली | वरुण ने बेसब्र हो के बोला , " कुछ बोलोगी भी अ। ... ...?"

" काश वो सच में  बुरा सपना ही होता " प्रियंका ने वरुण की बात काटते हुए बोला |


                              */प्रियंका की बात का क्या मतलब था? जानिए अगले अध्याय में */

Monday 11 December 2017

अध्याय : द्वितीय

"रीमा तुम ठीक तो हो ना ?" प्रियंका ने रीमा के बाल सहलाते हुए पूछा , " इन लोगो की बातों पे ध्यान मत दो" " कैसे नहीं दूँ प्रिया....... लोग धीरे धीरे मुझे पागल समझने लगे है....... मुझसे दूर होने लगे है..... "रीमा ने आँखों में आंसुओ के साथ कहा, "

"ऐसा कुछ भी नहीं है ....."प्रियंका ने रीमा को गले लगा लिया , " ...ज़्यादा सोच रही हो तुम ...सो जाओ बहुत रात हो गयी है "

रीमा ने आँखें बंद की और सोने की कोशिश की , प्रिया का मन शांत नहीं हुआ था लेकिन ....सो नहीं पा रही थी  तो अपना गाउन निकाला और बाहर निकली , सोचा थोड़ा टहल ले तो शायद नींद आ जाये |
बाहर उद्यान में हवा धीमे धीमे चल रही थी , प्रियंका खलायों में  डूब गयी , सोचने लगी  आखिर रीमा कब तक ऐसे ही परेशान होती रहेगी |

"अरे...प्रियंका कहाँ खोई हुई हो , कब से तुम्हे पीछे से आवाज़ दे रहा था , तुम रुक ही नहीं रही थी " वरुण ने पीछे से प्रियंका के कंधे पे हाँथ रख के रोका |

"ओह...... तुम कब आये मैंने ध्यान नहीं दिया" प्रियंका चौंक गयी,  फिर थोड़ा संभल के बोली , " तुम सोए नहीं...... अभी तक"

"अरे...... ये सब छोड़ो..... ये बताओ चल क्या रहा है रीमा के साथ..."हम सब परेशान हैं...... रीमा ठीक तो हैं ना ?"

प्रियंका सोच में पड़ गयी..... क्या जवाब दे.....कैसे शांत करे वरुण को |