Sunday, 27 May 2018

अध्याय : छ:

"कौन है वहाँ ? बाहर आ जाओ !"प्रियंका ने झाड़ियों की तरफ़ देख के आवाज़ दी | सूर्योदय होने वाला था इसलिए हलकी रोशिनी थी वहाँ|

" अरे! तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो ?" स्वाति में चौंक के कहा, फिर मुस्कुरा के बोली, " अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो......हमें साथ ले लो जहाँ जा रहे हो !" और वरुण के कंधे पे हल्का सा मुक्का मारा | प्रियंका को स्वाति की बात का मतलब समझ आ गया, और वरुण की तरफ़ उसके इशारों से भी उसे समझ आ गया, वो क्या कहना चाह  रही| वो जाने के लिए उठ खडी हुई |
"प्रियंका.......रुको " वरुण ने प्रियंका को रोकने के लिए पुकारा, " वैसे स्वाति तुम इतनी सुबह यहाँ क्या कर  रही हो? "अरे.....मैं.....मैं  तो टहलने आई थी........... सुबह की ताज़ी हवा का आनंद उठाने|" स्वाति ने उत्तर दिया, और प्रियंका की तरह देख के बोली, " तुम क्यूँ जा रही प्रियंका वापस........क्या मैंने तुम दोनों की बातों में विघ्न डाल  दिया? " ऐसा कह के  स्वाति ने वरुण को आँख मारी|

इससे पहले की वरुण कोई उत्तर दे पता, प्रियंका ने तपाक  से जवाब दिया, " ऐसा कुछ भी नहीं है स्वाति, मैं भी टहलने आई थी .........और अब मुझे लगता है मुझे थोड़ी देर और सो लेना चाहिए .....तुम दोनों से बाद में मिलती हूँ मैं" और वह तेज़ी से अन्दर चली गयी|

"प्रियंका...." वरुण ने उसको पुनः रोकने का विफल प्रयास किया. " वरुण मैं भी यहाँ हूँ....मुझ पर भी ध्यान दे दो थोडा.....सारी बातें प्रियंका से ही करोगे क्या?" स्वाति ने फिर मुस्कुरा के  वरुण को कोहनी मारी |

" स्वाति....हम कुछ ज़रूरी  बात कर रहे थे........और अब वो चली गयी.........." वरुण ने निराशा और आक्रोश के स्वर में कहा, "खैर....अब जाने दो....." और वह भी उठ के तेज़ी से अन्दर चला गया|

" वाह....किसने सोचा था सुबह की सैर से इतनी ताजगी मिल सकती है....." स्वाति ने हस
के खुद से कहा |

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