Monday, 11 December 2017

अध्याय : द्वितीय

"रीमा तुम ठीक तो हो ना ?" प्रियंका ने रीमा के बाल सहलाते हुए पूछा , " इन लोगो की बातों पे ध्यान मत दो" " कैसे नहीं दूँ प्रिया....... लोग धीरे धीरे मुझे पागल समझने लगे है....... मुझसे दूर होने लगे है..... "रीमा ने आँखों में आंसुओ के साथ कहा, "

"ऐसा कुछ भी नहीं है ....."प्रियंका ने रीमा को गले लगा लिया , " ...ज़्यादा सोच रही हो तुम ...सो जाओ बहुत रात हो गयी है "

रीमा ने आँखें बंद की और सोने की कोशिश की , प्रिया का मन शांत नहीं हुआ था लेकिन ....सो नहीं पा रही थी  तो अपना गाउन निकाला और बाहर निकली , सोचा थोड़ा टहल ले तो शायद नींद आ जाये |
बाहर उद्यान में हवा धीमे धीमे चल रही थी , प्रियंका खलायों में  डूब गयी , सोचने लगी  आखिर रीमा कब तक ऐसे ही परेशान होती रहेगी |

"अरे...प्रियंका कहाँ खोई हुई हो , कब से तुम्हे पीछे से आवाज़ दे रहा था , तुम रुक ही नहीं रही थी " वरुण ने पीछे से प्रियंका के कंधे पे हाँथ रख के रोका |

"ओह...... तुम कब आये मैंने ध्यान नहीं दिया" प्रियंका चौंक गयी,  फिर थोड़ा संभल के बोली , " तुम सोए नहीं...... अभी तक"

"अरे...... ये सब छोड़ो..... ये बताओ चल क्या रहा है रीमा के साथ..."हम सब परेशान हैं...... रीमा ठीक तो हैं ना ?"

प्रियंका सोच में पड़ गयी..... क्या जवाब दे.....कैसे शांत करे वरुण को |

Saturday, 8 July 2017

अध्याय : प्रथम


"सच कह रहीं हूँ मैं...." पसीने पसीने हो रखी रीमा ने अपनी पूरी जान लगाते हुए कहा, " .....मैंने सच में...... वहाँ किसी को देखा ...." " बुरा सपना देखा होगा रीमा !" स्वाति ने अपनी नींद भरी हुई आँखे मलते हुए कहा  " सो जाओ कोई बात नहीं "

" जाओ तुम सब सो जाओ, .....मैं हूँ यहाँ इसके पास  " प्रियंका ने रीमा का हाथ पकड़ के  उसको सांतवना दी  " नहीं हम सब हैं यहाँ ,...... रीमा डरने की कोई बात नहीं है " वरुण ने आगे कदम बढ़ाते हुए कहा  ," नहीं वरुण मैं हूँ यहाँ,.... तुम लोग जाओ " प्रियंका ने ज़ोर डालते हुए दोहराया | " ठीक है, हम जा रहे है .......कोई ज़रूरत पड़े तो आवाज़ ज़रूर दे देना " वरुण ने हलकी मुस्कान के साथ जाने का इशारा किया  " चलो सब ..... " वरुण ने सबको दरवाज़े की ओर रुख़ करने का इशारा किया |
" यार!!... इसको हुआ क्या है?! दो दिन हुए हमें आये हुए यहाँ , और कल भी यही हुआ था .......कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं " ,वरुण ने चिंतित स्वर में कहा , " अरे नहीं ये इसके हमेशा के नाटक है , तुम लोगो को नहीं पता " स्वाति ने मुँह बनाते हुए कहा . " नाटक? कैसा नाटक? स्वाति...तुमने उसकी हालत भी देखी थी...!!....कितनी बुरी  तरह डरी हुई थी वो...... वो सच कह रही है मुझे विश्वास है " " हाँ यार..... मुझे भी लगता है रीमा सच कह रही थी , पर पूरी बात समझ नई आई .....," राहुल ने सोचते हुए कहा |